फालसा फोड़े ,फुंसी ,घमौरियों का दुश्मन है या यू कहिये की ये गर्मियों में आपका सच्चा दोस्त है. तो गर्मियों के मौसम में प्रतिदिन पचास ग्राम फालसा जरूर खाएं। इसे संस्कृत में परुश्कम कहते है और अंग्रेजी में Asiatic grewia कहते हैं।
----इन गर्मियों में अगर रोज आप 50 ग्राम फालसे खा लेंगे तो घमौरियां ,फुंसी - फोड़े से निजात मिल जायेगी।
----ये फालसा शुक्र वर्धक भी होता है अतः आपको ताकत भी दे ही देगा।
----दिल की बीमारियों में आप फालसे के शरबत में गुड और सोंठ मिला कर पीजिये।
----पित्त विकार की वजह से फोड़े फुंसी ,घमौरियां निकल आती है और आदमी को गुस्सा भी ज्यादा आने लगता है. ऎसी हालत में फालसा रामबाण की तरह काम करता है। बस रोजाना या तो सौ ग्राम फालसे का शरबत बनाकर पीयें या यू ही शहद मिला कर खाएं।
----जो घाव जल्दी भर न रहा हो उन घावों पर फालसे के पत्तो की चटनी पीस कर मलहम की तरह लगा लीजिये।बहुत तेज घाव ठीक होता हुआ आपको दिखाई देगा।
----शरीर की गरमी बाहर निकालनी हो तो फालसे को मिश्री मिलाकर खाए।
----शुगर के रोगियों को भी फालसा फायदा करता है लेकिन फालसे का फल नहीं बल्कि इसके पेड़ की छाल का काढा रोज पीना होगा।
----अगर बदन पर पीव वाली फुंसियां उगी हों तो फालसे के पत्ते कलियाँ पीस कर लेप कर लीजिये।
----पत्ते और कलियों का पेस्ट मुहासों पर भी काम करता है।
----गले के किसी भी रोग में फालसे के पेड़ की छाल का काढा बहुत अच्छी दवा के रूप में काम करेगा .
---- फालसे के सेवन से लू नहीं लगती है। लू लग गयी हो तो फ़ौरन फालसे का शरबत पीजिये।
----गले में फ़सान महसूस होती हो तो फालसे को पानी में उबाल कर काढा बनाइये उससे गरारे कीजिए। गले के अन्दर के छाले तक ख़त्म हो जायेंगे और आवाज कोयल जैसी मीठी।
खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस फालसे में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सिट्रिक एसिड, एमीनो एसिड, ग्रेवियानोल, बीटा एमिरिदीन, बेट्यूलीन, फ्रेडीलिन, किम्फेराल, क्वेरसेटिन, ल्यूपिनोन, ल्यूपियाल, डेल्फीनिडीन, सायनीडीन, टैरेक्सास्टेरोल जैसे तत्व भी मौजूद हैं जो इस मटर के दाने के बराबर के फल में इतने गुण भर देते हैं।
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