हमें अक्सर यह भ्रम रहता है कि मोटे अनाज हमारी खुराक का एक बड़ा हिस्सा होते हैं। इसीलिए अकसर हम मोटे अनाजों के खानों को लेकर चिंतित नहीं रहते। लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि हम मोटे अनाज के रूप में ये जो चीजें खाते हैं, मसलन, रोटी, पास्ता, नूडल, बिस्किट, इडली, डोसा, इन सब में कितनी तरह के मोटे अनाज होते हैं? सिर्फ दो। गेहूं और चावल। हमारे रोजमर्रा के भोजन में ज्यादातर यही दोनों मोटे अनाज विभिन्न रूपों में मौजूद होते हैं। जबकि हमें तमाम मोटे अनाज खाने चाहिए जो इससे इतर भी हों। मसलन, जई, बाजरा, ज्वार, रागी, जौ आदि। लेकिन शहरी भारत के ज्यादातर लोगों को इन तमाम मोटे अनाजों के बारे में या तो पता नहीं है या इनका इस्तेमाल उनकी आदत का हिस्सा नहीं हैं।
यही वजह है कि मोटे अनाज के तौर पर हम सिर्फ और सिर्फ गेहूं और चावल के तमाम उत्पाद खाते रहते हैं और सोचते हैं कि मोटे अनाज खाने की हमारी जरूरत पूरी हो गई। जबकि खुराक विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका अपने हेल्थ की वेल्थ का अंदाजा है तो अपने खाने में इन मोटे अनाजों को सजग होकर शामिल करें।
ओट्स
ओट्स या जई आसानी से पच जाने वाले फाइबर का जबरदस्त स्रोत है। साथ ही यह कॉम्पलेक्स कार्बोहाइडेट्स का भी अच्छा स्रोत है।
ओट्स हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है। बशर्ते इसे लो सैच्यूरेटिड फैट के साथ लिया जाए।
ओट्स एलडीएल की क्लियरेंस बढ़ाता है।
ओट्स में फोलिक एसिड होता है जो बढ़ती उम्र वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह एंटीकैंसर भी होता है।
ओट में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीज, लोहा और विटामिन-बी व ई भरपूर मात्रा में होते हैं।
जो लोग डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज से पीड़ित हैं उन्हें ओट्स फायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं और बढ़ते बच्चों को भी ओट खाना चाहिए।
जौ
जौ वह अनाज है जिसमें सबसे ज्यादा अल्कोहल पाया जाता है।
यह पच जाने वाले फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
यह ब्लड कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
यह ब्लड ग्लूकोज को बढ़ाता है।
जौ मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत और एंटीऑक्सीडेंट है।
अल्कोहल से भरे होने के कारण यह डायूरेटिक है इस कारण हाइपर टेंशन से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है।
रागी
रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसलिए जो लोग ऑस्टेपेनिया के शिकार हैं और ऑस्टेपोरेसिस के भी, ऐसे दोनों लोगों के लिए यह फायदेमंद है।
यह मोनोपोज के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।
जो लोग लेक्टोज की समस्या से पीड़ित होते हैं उनके लिए रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसीलिए रागी का इस्तेमाल छोटे बच्चों के भोजन में भी होता है।
बाजरा
बाजरा एक गर्म अनाज है। इसलिए आमतौर पर इसका स्वागत जाड़ों के दिनों में ही किया जाता है। बाजरा प्रोटीन का भंडार है। बाजरे में मैथाइन, ट्राइप्टोफान और इनलिसाइन बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
यह थायमीन अथवा विटामिन-बी का अच्छा स्रोत है और आयरन तथा कैल्शियम का भी भंडार है।
यह उन लोगों के लिए तो बहुत ही फायदेमंद है जो गेहूं नहीं खा सकते। लेकिन बाजरे को किसी और अनाज के साथ मिलाकर खाना चाहिए।
ज्वार
ज्वार भी एक तरह से जाड़ों में पसंद किया जाने वाला अनाज है। इसमें बहुत कम वसा होती है और ये कार्बोहाइडेट का जबरदस्त भंडार है।
इसमें भी आयरन, कैल्शियम का उपयोगी भंडार होता है। यह उनके लिए सही रहता है जो पोलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
यह मूत्र प्रक्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने में सहायक है। जिससे हाइपर टेंशन रोगी परेशान रहते हैं।
इस तरह यह तमाम तरह के मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। अगर हम मोटे अनाजों के नाम पर सिर्फ गेहूं और चावल न खाकर अपने रोजमर्रा के भोजन में इन मोटे अनाजों को भी शामिल करें तो इनसे होने वाले फायदे कई गुना होंगे।
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