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सफ़ेद दाग का लक्षण और उपचार

सफ़ेद दाग रोग ऐसा हैं कि जिसको एक बार हो जाए तो वो व्यक्ति हीनभावना से तो ग्रसित हो जाता हैं परंतु इलाज के नाम से बहुत ठगा जाता हैं। लोग बढ़ चढ़ कर सही करने का दावा तो करते हैं। परंतु हासिल कुछ नहीं होता। सफ़ेद दाग का उपचार कुछ सालो पहले आयुर्वेद में बहुत आसान था, जब कुछ भस्मों से इसका उपचार योग्य वैद कर दिया करते थे, आज कल भस्मो का सही मिश्रण, सही अनुपात व जानकारी ना होने के कारण इस रोग का सही उपचार नहीं हो पाता। आयुर्वेद में जो उपचार हैं वह थोड़े लम्बे हैं । इसलिए मरीज को धैर्यपूर्वक इसको लगातार जारी रखना पड़ता हैं। हम यहाँ आपको कुछ विशेष उपचार बता रहे हैं, जो बहुत से रोगियों पर सफलता से प्रयोग किया गए हैं।

सफ़ेद दाग  का उपचार
बावची का तेल और नीम का तेल सामान मात्रा में मिला कर रोग वाली जगह दिन में २ बार लगाना चाहिए और इसके साथ बावची का चूर्ण, तुलसी के पत्तों को सुखा कर बनाया गया चूर्ण और चोपचीनी का चूर्ण समान मात्रा में मिला कर हर रोज़ 3 ग्राम सुबह शाम सादा पानी के साथ ले। और ये चूर्ण लेने के दो घंटे पहले और बाद में कुछ ना खाए। साथ में रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला गुनगुने पाने के साथ ले।
सुबह खाली पेट गेंहू के जवारे का रस ज़रूर पिए। आपका ये चर्म रोग कुछ दिनों में गायब हो जायेगा। इसके साथ लौकी का जूस भी सुबह खाली पेट पिए, और इस जूस को बनाते समय इसमें 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीने के भी डाल ले।
बावची एक ऐसी औषधि है, जिस से आजकल की आधुनिक सफ़ेद दाग की औषधियां भी बनायीं जाती हैं।
आठ लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें। जब 4 लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें । फ़िर इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिलाकर पुन: आंच पर रखें। जब केवल तैलीय मिश्रण ही बचा रहे, इसको आंच से उतारकर बडी शीशी में भरले। यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। 4-5 माह तक ईलाज चलाने पर आश्चर्यजनक अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
बावची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है। 50 ग्राम बीज पानी में 3 दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें। बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखा कर पीस कर पावडर बनालें। यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पाव भर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।
बावची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर चार दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत ही कारगर उपचार है।लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज कुछ रोज के लिये रोक देना उचित रहेगा।
लाल मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन सफ़ेद दाग के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।
श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना भी काफी फ़ायदेमंद होता है।
मूली के बीज करीब 30 ग्राम सिरके में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।
एक मुट्ठी काले चने, 125 मिली पानी में डाल दे सुबह, उसमे 10 गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे, 24 घंटे वो पड़ा रहे …ढक के रह दे … 24 घंटे बाद वो चने जितना खा सके चबाकर के खाये…. सफ़ेद दाग जल्दी मिटते है |
रोज बथुये की सब्जी खायें। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें । जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें। ठीक होगा परंतु धैर्य की जरूरत है।

अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।
तुलसी का तेल सफेद दाग पर लगायें।
नीम की पत्ती, फूल, निंबोली सबको सुखाकर पीस लें । प्रतिदिन एक चम्मच ताजा पानी के साथ लें। कोई भी कुष्ठ रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें।
पत्ते,निम्बोली, छाल किसी का भी रस लगायें व एक चम्मच पियें। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।
चेहरे के सफ़ेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं। हाथ और पैरो के सफ़ेद दाग ठीक होने में ज्यादा समय लेते है। ईलाज की अवधि 6 माह से 2 वर्ष तक की हो सकती है।
मांस, मछ्ली अंडा, डालडा घी या वनस्पति तेल, लाल मिर्च, शराब, नशीली चीजे, अचार, खटाई, अरबी-भिन्डी, चावल आदि का परहेज करे। नमक कम खाएं।

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