नाक की एलर्जी -नाक में खुजली होना ,छीकें आना ,नाक बहना ,नाक बंद होना या बार बार जुकाम होना आदि आँख की एलर्जी -आखों में लालिमा ,पानी आना ,जलन होना ,खुजली आदि lश्वसन संस्थान की एलर्जी इसमें खांसी ,साँस लेने में तकलीफ एवं अस्थमा जैसी गंभीर समस्या हो सकती है
त्वचा की एलर्जी -त्वचा की एलर्जी काफी कॉमन है और बारिश का मौसम त्वचा की एलर्जी के लिए बहुत ज्यादा मुफीद है त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना ,दाने निकलना ,एक्जिमा ,पित्ती उछलना आदि होता है lखान पान से एलर्जी -बहुत से लोगों को खाने पीने की चीजों जैसे दूध ,अंडे ,मछली ,चॉकलेट आदि से एलर्जी होती है
एलर्जी से बचाव ही एलर्जी का सर्वोत्तम इलाज है जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है उन्हें न खाएं lएकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं lधूल मिटटी से बचें ,यदि धूल मिटटी भरे वातावरण में काम करना ही पड़ जाये तो फेस मास्क पहन कर काम करेंl
इस रोग का कारण कई तरह की एलर्जी है। इनमें सबसे आम है प्रदूषण, धूल-मिट्टी, घास व पेड़-पौधों के परागकण।
घर से बाहर निकलने पर धूल और वायुमंडल में फैला प्रदूषण लोगों की नाक में चला जाता है। यही एलर्जिक राइनाइटिस का कारण बनता है। इसके अलावा पालतू कुत्ते, बिल्लियां रखने वाले परिवारों में एलर्जी
का जोखिम ज्यादा होता है। कुत्ते-बिल्ली जैसे बालों वाले जानवरों के बाल गिरते रहते हैं, जो एलर्जी का कारण बनते हैं।
उपचार,
जिन लोगों को नाक की एलर्जी बार बार होती है उन्हें सुबह भूखे पेट 1 चम्मच गिलोय और 2 चम्मच आंवले के रस में 1चम्मच शहद मिला कर कुछ समय तक लगातार लेना चाहिए इससे नाक की एलर्जी में आराम आता है ,
सर्दी में घर पर बनाया हुआ या किसी अच्छी कंपनी का च्यवनप्राश खाना भी नासिका एवं साँस की एलर्जी से बचने में सहायता करता है आयुर्वेद की दवा सितोपलादि पाउडर एवं गिलोय पाउडर को 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम भूखे पेट शहद के साथ कुछ समय तक लगातार लेना भी नाक एवं श्वसन संस्थान की एलर्जी में बहुत आराम देता है
जिन्हे बार बार त्वचा की एलर्जी होती है उन्हें मार्च अप्रेल के महीने में जब नीम के पेड़ पर कच्ची कोंपलें आ रही हों उस समय 5-7 कोंपलें 2-3 कालीमिर्च के साथ अच्छी तरह चबा चबा कर 15-20 रोज तक खाना त्वचा के रोगों से बचाता है,
हल्दी से बनी आयुर्वेद की दवा हरिद्रा खंड भी त्वचा के एलर्जी जन्य रोगों सहित सभी प्रकार की एलर्जी में बहुत गुणकारी है इसे किसी आयुर्वेद चिकित्सक की राय से सेवन कर सकते हैं l
सभी एलर्जी जन्य रोगों में खान पान और रहन सहन का बहुत महत्व है इसलिए अपना खान पान और रहन सहन ठीक रखते हुए यदि ये उपाय अपनाएंगे तो अवश्य एलर्जी से लड़ने में सक्षम होंगे और एलर्जी जन्य रोगों से बचे रहेंगे एलर्जी जन्य रोगों में अंग्रेजी दवाएं रोकथाम तो करती हैं लेकिन बीमारी को जड़ से ख़त्म नहीं करती है जबकि आयुर्वेद की दवाएं यदि नियम पूर्वक ली जाती है तो रोगों को जड़ से ख़त्म करने की ताकत रखती हैं
बचाव,
इन्फेक्शन से बचने का प्रयास करें।
ठंडी हवा, धूल और नमी से बचें।
घर से बाहर निकलने पर कोशिश करें कि धूल के कण नाक में कम से कम जाएं।
अगर धूल वाले स्थान पर जाना पड़े तो मुंह पर मास्क या रूमाल रखकर जाएं।
घर में पालतू जानवरों कुत्ते, बिल्लियों आदि के बहुत अधिक नजदीक न जाएं।
घर या कार्यालय में जहां सीलन हो, वहां जाने से बचें।
धूम्रपान न करें।अगर आपके आसपास किसी को सिगरेट के धुएं से एलर्जी है तो उसके सामने स्मोकिंग भी न करें।
कुछ खाने से अगर नाक में एलर्जी हो तो उससे बचना चाहिए।
ज्यादा तकलीफ होने पर नेजल स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं।
जिस चीज से त्वचा पर एलर्जी होती है, उस चीज को नोट करें और उस चीज का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें।त्वचा के जिस भाग पर एलर्जी हो, वहां किसी भी तरह का कास्मेटिक प्रयोग न करें।
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