थायराइड क्या है?
थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है। थायराइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं। थायराइड हार्मोन का स्राव जब असंतुलित हो जाता है तो शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। थायराइड दो प्रकार का होता है, पहला हाइपोथायराइड एवं दूसरा हायपरथायराइड।
थायराइडिज्म में यह ग्रंथि ज्यादा प्रभावी होती है और थायराइड हार्मोन (थायरॉक्सिन) ज्यादा पैदा करती है.थायरायड भी डायबिटीज की तरह मुश्किल से काबू आने वाली बीमारी है | थायराइड हार्मोन पैदा करने वाली एक ग्रंथि है जो गर्दन के पीछे होती है. थायराइड ग्रंथि थायराइड हार्मोन पैदा करती है. यह हारमोन शरीर की हर कोशिका, हर अंग और हर ऊतक पर प्रभाव डालता है. हार्मोन ग्रंथि शरीर का तापमान, शरीर का वजन, हार्ट रेट, पाचन क्रिया,ऊर्जा सबको नियंत्रित करती है. हालांकि यह बहुत छोटी होती है लेकिन इसका बेहतर कार्य हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. थायराइड रोग मे या तो थायराइड हार्मोन अधिक बनता है जिसे हाइपर-थायराइडिज्म कहा जाता है या कम हो जाता है जिसे हाइपो-थायराइडिज्म कहा जाता है|
हाइपोथायराइड –
इसमें थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकतानुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। इस स्थिति में वजन में अचानक वृद्धि हो जाती है। सुस्ती महसूस होती है। रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है। शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। चलने में दिक्कत होती है। ठंड बहुत महसूस होती है। कब्ज होने लगती है। चेहरा व आंखें सूज जाती हैं। मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं। आवाज रूखी व भारी हो जाती है। यह रोग 30 से 60 वर्ष की महिलाओं को होता है।
हायपरथायराइड –
इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी. थ्री, टी. फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इस स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। भूख में वृद्धि होती है। रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते। अत्यधिक पसीना आता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं। निराशा हावी हो जाती है। धड़कन बढ़ जाती है। नींद नहीं आती। मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हायपर थायराइड बीस साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।
क्या हैं नुकसान
महिलाएं थायराइड की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। उनका वजन बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है। इससे तनाव, अवसाद, नींद ठीक से न आना, कोलेस्ट्रॉल, आस्टियोपोरोसिस, बांझपन, पीरियड का टाइम पर न आना, दिल की धड़कन बढ़ना जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं।
जांच व उपचार
थायराइड के दोनों प्रकार में ब्लड टैस्ट किया जाता है। ब्लड में टी. थ्री, टी. फोर एवं टी. एस. एच. लेवल में सक्रिय हार्मोंस का लेवल जांचा जाता है। टैस्ट रिपोर्ट्स के अनुसार डाक्टर ट्रीटमेंट करते हैं। अधिकतर रोगियों को उम्र भर दवा खानी पड़ती है, किंतु पहले चरण में उपचार करा लेने से ज्यादा परेशानियां नहीं आतीं। मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। ऐसी चीजें न खाएं जिससे थायराइड से पैदा होने वाली परेशानियां और बढ़ जाएं। इन चीजों से परहेज करें।
1) रेड मीट : रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल और सेचुरेडेट फैट बहुत होता है। इससे वेट तेजी से बढ़ता है। थाइराइड वालों का वजन तो वैसे ही बहुत तेजी से बढ़ता है। इसलिए इसे त्याग दें|| इसके अलावा रेड मीट खाने से थाइराइड वालों को बदन में जलन की शिकायत होने लगती है।
2) एल्कोहल: एल्कोहल यानी शराब़, बीयर वगैरा शरीर में एनर्जी के लेवल को प्रभावित करता है। इससे थाइराइड की समस्या वाले लोगों की नींद में दिक्कत की शिकायत और बढ़ जाती है। इसके अलावा इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
3) आयोडीन वाला खाना : चूंकि थायराइड ग्लैंड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायराइड हार्मोन पैदा करते हैं, इसलिए हाइपोथायराइड है तो आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों से जीवनभर दूरी बनाए रखें। सी फूड और आयोडीन वाले नमक का उपयोग वर्जित है|
4) वनस्पति घी: वनस्पति घी को हाइड्रोजन में से गुजार कर बनाया जाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को खत्म करते हैं और बुरे को बढ़ावा देते हैं। बढ़े थाइराइड से जो परेशानियां पैदा होती हैं, ये उन्हें और बढ़ा देते हैं। ध्यान रहे इस घी का इस्तेमाल खाने-पीने की दुकानों में जमकर होता है। इसलिए बाहर का फ्राइड खाना न ही खाएं।
5) कैफीन : कैफीन वैसे तो सीधे थाइराइड नहीं बढ़ाता, लेकिन यह उन परेशानियों को बढ़ा देता है, जो थायराइड की वजह से पैदा होती हैं, जैसे बेचैनी और नींद में खलल।
6) ज्यादा मीठे खाद्य : हाइपर-थायराइडिज्म वालों को गन्ना, डेक्सट्रोस, हाई फ्रूट्स कॉर्न सीरप आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इनमें मौजूद कैलोरीज और शुगर से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. हाई ब्लड प्रेशर, हाइपर थाइरॉइड वालों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. सॉफ्ट ड्रिंक, पैन केक, जैम/जैली, कुकीज, केक, पेस्ट्रीज, कैंडीज, जमा हुआ दही आदि का सेवन न करें|
7) एलर्जिक फूड न लें : हाइपर- थायराइडिज्म के कारण कई नाजुक बीमारियां होती हैं. यह ऑटो-इम्यून डिजीज है और खाने से होने वाली एलर्जी से इस प्रकार की बीमारियों के लक्षण बढ़ सकते हैं. इसलिए इस तरह के खाने से परहेज करें जिससे आपको एलर्जी है. साधारण तौर पर एलर्जी लैक्टोज सहन नहीं होना दूध, मूंगफली एलर्जी, गेहूं एलर्जी आदि है, एलर्जिक रिएक्शन उस भोजन पर ज्यादा आश्रित होने से होती है.डेयरी उत्पाद : हाइपर-थायराइडिज्म के कुछ लोगों में लैक्टोज सहन नहीं होता और दूध जैसे उत्पाद पचाने में समस्या होती है. यदि आपको दूध उत्पाद जैसे मक्खन, आइसक्रीम, दही आदि से अपच, सूजन, थकान आदि होती है तो इनसे परहेज करें.
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