सदाबहार की तीन – चार कोमल पत्तियाँ चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है …!
1 – आधे कप गरम पानी में सदाबहार ( सदाफूली ) के तीन ताज़े गुलाबी फूल 05 मिनिट तक भिगोकर रखें | उसके बाद फूल निकाल दें और यह पानी सुबह ख़ाली पेट पियें | यह प्रयोग 08 से 10 दिन तक करें | अपनी शुगर की जाँच कराएँ यदि कम आती है तो एक सप्ताह बाद यह प्रयोग पुनः दोहराएँ |
2 – सदाबहार के पौधे के चार पत्तों को साफ़ धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें | इससे मधुमेह ,मिटता है | यह प्रयोग कम से कम तीन महीने तक करना चाहिए |
3 – सदाबहार की तीन – चार कोमल पत्तियाँ चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है |
*औषधीय गुण* सदाबहार का उपयोग खांसी, गले की खराश और फेफड़ों के संक्रमण में उपयोग किया जाता है । इसे मधुमेह के उपचार में उपयोगी पाया गया है क्योंकि इसमें दर्जनों क्षार ऐसे पाए गए हैं जो कि उनसे रक्त शकरा की मात्रा को नियत्रिंत किया जा सकता है। सदाबहार की पत्तियों में विनिकरस्टीन नामक क्षारीय पदार्थ होता है जो कैंसर, विशेषकर रक्त कैंसर में बहुत उपयोगी होता है।आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है तथा फूलों वाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय यह फूल सुंदर तो है हीआसानी से हर मौसम में उगता है । *सदाबहार के आयुर्वेदिक गुण* 1. पत्तियों और फूलों को कुचलकर बवासीर होने पर इसे लगाने से तेजी से आराम मिलता है। आदिवासी जानकारों के अनुसार, ऐसा प्रतिदिन रात को सोने से पहले किया जाना ठीक होता है।
2. इसकी पत्तियों के रस को ततैया या मधुमक्खी के डंक मारने पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है। इसी रस को घाव पर लगाने से घाव भी जल्दी सूखने लगते हैं। त्वचा पर खुजली, लाल निशान या किसी तरह की एलर्जी होने पर पत्तियों के रस को लगाने पर आराम मिलता है।
3. त्वचा पर घाव या फोड़े-फुंसी हो जाने पर आदिवासी इसकी पत्तियों का रस दूध में मिला कर लगाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा करने से घाव पक जाता है और जल्द ही मवाद बाहर निकल आता है।
4. सदाबहार के फूलों और पत्तियों के रस को मुहांसों पर लगाने से कुछ ही दिनों में इनसे निजात मिल जाती है। पत्तियों और फूलों को पानी की थोड़ी सी मात्रा में कुचल कर लेप को मुहांसों पर दिन में कम से कम दो बार लगाने से आराम मिलता है।

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