अनियमित दिनचर्या और खान-पान के कारण लोग डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। डायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
डायबिटीज दुनिया भर में फैली है, मगर भारत आज उसका सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण 21वीं सदी की जीवनशैली है।
डायबिटीज चयापचय से संबंधित बीमारी है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है। इसका मुख्य कारण है। 'इंसुलिन की कमी'।
खतरा पहचानने का नया जरिया :-
एक डिवाइस है इजेडस्केन, जिसके जरिये डायबिटीज की रिस्क का पता किया जा सकता है। इसके लिए ब्लड सैंपल लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। डायबिटीज का सबसे पहला हमला अंगुलियों और अंगूठों की नसों पर होता है। ये नसें स्वेट ग्लेंड तक जाती हैं। डायबिटीज की शुरुआत में स्वेट या पसीने का क्लोराइड बैलेंस बदल जाता है। ईजेडस्केन इस स्वेट की बायोकेमिकल जांच करता है और बताता है कि प्री-डायबिटीज रिस्क कितनी है। इसकी तीन कैटेगरी होती है-पहली नो रिस्क(नसें डैमेज नहीं)। दूसरी मामूली रिस्क (प्री डायबिटीज और नसे डैमेज)। तीसरी वेरी हाई रिस्क (डैमेज नसें ठीक नहीं होंगी और डायबिटीज कांपलिकेशंस)।
शुगर के नए साइड इफेक्ट :-
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले और सेनफ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं के मुताबिक शुगर और डायबिटीज के बीच सीधा नाता है। अगर हर दिन प्रति व्यक्ति 150 ग्राम एक्स्ट्रा कैलोरी शुगर ली जाती है, तो डायबिटीज 1.1 फीसदी बढ़ जाती है। कोला के एक केन या एक गुलाब जामुन में इतनी कैलोरी होती है। अगर शुगर कम खाई जाए तो डायबिटीज होने की जोखिम भी कम हो जाती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रोटीन, फैट और फाइबर का डायबिटीज से कोई बड़ा नाता नहीं है
ऐसे बनें शुगर स्मार्ट :-
अगर आप रोटी भी खाते हैं, तो डाइट में शुगर आसानी से आ जती है। रोटी से सलाद तक नॉन-स्वीट फूड्स शुगर के वाहक हैं। शुगर दूसरे नामों में ट्रेवल करती है। मसलन जिस नाम के भी अंत में ओएसई या ओज (जैसे ग्लुकोज, फ्रक्टोज) हो, उसमें शुगर होती है। इसे पहचानने की जरूरत है।
वर्षो पुरानी कारगर बात: 30 मिनट पैदल चलें:-
वॉकिंग वजन घटाने की इफेक्टिव एक्सरसाइज है। डायबिटीज के पेशेंट्स के लिए तो यह पावरफुल मेडिसीन हो सकती है। वॉकिंग से टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल होती है। पेशेंट इंसुलिन ले रहे हों तो यह उसे अधिक एफिशिएंट बनाती है। 30 मिनट के वॉकिंग प्लान को हफ्ते में 4 से 6 दिन इस्तेमाल करने के फायदे मिलते हैं। इसके दो लेवल हैं। शुरुआत पहले लेवल से करें। फिर दूसरे लेवल पर जाएं। यह प्लान डायबिटीज डीटूर डाइट ने तैयार किया है।
यह ध्यान रखें:-
> आंखें पैरों पर न हों। सीधे देखें कम से कम 10 से 30 फीट की दूरी तक।
> हर पांच मिनट में गहरी सांसें लें। उसके बाद सांस तेजी से छोड़ें। ध्यान रखें इस दौरान कंधे किस तरह ऊपर नीचे होते हैं।
> हाथ ९क् डिग्री से झुके हों, लेकिन कोहनी बगल में रहे।
> चलने के दौरान जांघों की बजाए कमर के निचले हिस्से पर ज्यादा ताकत लगाएं।
> अगला कदम बढ़ाने से पहले एड़ियां जमीन को छुए और पंजे पर जोर देकर आगे बढ़ें
ये हैं डायबिटीज से जुड़ी काम की बातें, जानें लक्षण और उपाय!
Reviewed by Unknown
on
2:29 AM
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