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मुंह का कैंसर

हमारा शरीर बहुत सी छोटी-छोटी इकाइयों से निर्मित है जिन्हें कोशिका कहा जाता है। इन कोशिकाओं का जीवनकाल सीमित होता है। नई कोशिकाओं का निर्माण एवं पुरानी अथवा क्षतिग्रस्ती कोशिकाओं का मरना एक निरंतर प्रक्रिया है। यह एक व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रखती है। किसी कारणवश, यह प्रक्रिया बाधित भी हो सकती है और तब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बडने लग सकती हैं। जब ऐसा होता है,

तब इसे के न्सर कहा जाता है। ये कोशिकाएं या तो के न्सर प्रभावित क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों में घुसपैठ करती हैं, अथवा रक्त या लसिका (लिम्फेटिक)- परिसंचरण तंत्रों (सर्कुलेटरी सिस्टम) के जरिए शरीर के दूसरे अंगों में फै ल जाती हैं। मुंह का के न्सर, जिसे ओरल (Oral)
केन्सर भी कहा जाता है,

भारत की एक प्रमुख स्वास्थ्य संबंधित चिंता का विषय है। यह पुरुषों में सर्वाधिक पाए जाने वाले के न्सरों में से एक है और महिलाओं में तीसरा सर्वाधिक के न्सर है। मुंह का के न्सर के लगभग 90% रोगी चबाने वाली तंबाकू के विभिन्न उत्पादों के सेवन के कारण होते हैं। इन सभी रोगियों में से लगभग 70- 80% के रोग का निदान एक बड़ी हुई अवस्था में ही होता है,

मुंह का कैंसर-

जिससे इनका उपचार और नियंत्रण करना कठिन हो जाता है। ये तथ्य इस रोग की रोकथाम और इसके अनुपचारित हो जाने से पहले निदानित करने के महत्व को बल देते हैं। मुंह का के न्सर किससे होता है? तंबाकू का सेवन, विशेषकर गुटखे, जर्दे और अन्य प्रकार की धूम्ररहित तंबाकू , और सुपारी (अके ले अथवा पान के साथ मिला कर) का सेवन भारत में मुंह के के न्सर का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

तंबाकू की फं की को गाल एवं मसूड़ों के बीच रखने की वजह से मसूड़ों, गाल और गाल के भीतरी भाग के के न्सर से प्रभावित लोगों की संख्या काफी अधिक हुई है। के न्सर-कारक रसायन लार के जरिए मुंह के अन्य भागों में फै ल सकते हैं, जिससे पूरे मुंह में के न्सर होने की संभावना बढ़ जाती है।

सिगरेट/बीड़ी पीने और तंबाकू के अन्यस उत्पादों के सेवन से भी मुंह के के न्सर का खतरा बढ़ जाता है और शराब (एल्कोहल) का सेवन भी तंबाकू के दुष्प्रभाव को बढ़ाता है। के न्सर होने के लिए एक व्यक्ति कितने समय से तंबाकू का सेवन कर रहा है, यह उसके तंबाकू की वास्तविक मात्रा के सेवन की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है।

कोई व्यक्ति तंबाकू का सेवन जितने अधिक समय तक करेगा, उसमें मुंह का के न्सर होने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी। अन्य खतरों के कारणों में नुकीले दांतों अथवा दंत-विन्यास (Dentures) से मसूड़ों अथवा गाल में लगातार जलन, कु पोषण, ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी), आदि, सम्मिलित हैं
मुंह में कैंसर के लक्षण

• मुंह में अथवा जीभ पर एक छाला अथवा घाव जो ठीक नहीं हो रहा है

• गाल और मसूड़े में सूजन (जो कि दर्दनाक अथवा दर्दरहित हो)

• मुंह को पूरी तरह खोलने में कठिनाई और गर्दन में गाँठ

• गले में निरंतर खराश

• जीभ निकालने अथवा जीभ हिलाने में परेशानी

• अस्पष्ट आवाज कु छ रोगी दांतों के अचानक हिलने अथवा जबडे में दर्द होने पर दंत रोग चिकित्सक (डेंटिस्ट) के पास भी जा सकते हैं।

मुंह के कैंसर का निदान,

मुंह के कैं सर का निदान कै से किया जाता है? एक अच्छे प्रकाश स्रोत से मुंह की सामान्य जांच के द्वारा अधिकांश रोगियों के मुंह के के न्सर को निदानित करने में सहायता मिलती है।

निदान की पुष्टि के लिए एफएनएसी’ (fine needle aspiration cytology) अथवा एक छोटी बायोप्सी (Biopsy- रोगग्रसित ऊतक का एक टुकड़ा) की जाती है। ये प्रक्रियाएं बाह्य-रोगी (out-patient) की तरह भी की जा सकती हैं।

स्वरयंत्र (larynx), नासिका तंत्र (Nasopharynx- नाक के ऊपर और पीछे का भाग) और ऊपरी भोजन नलिका (Esophagus) में रोग का संदेह होने की स्थितियों में, एंडोस्कोपी नामक प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है। यह प्रक्रिया एक विशेषज्ञ द्वारा रोगी को बेहोश करके की जाती है। इसमें ली गयी बायोप्सी को जांच के लिए पैथोलोजिस्ट को भेजा जाता है। अन्य जांचें, जिनमें एक्स-रे, सी.टी. स्कै न और कु छ रक्त परीक्षण शामिल हैं, रोग के फै लाव एवं रोगी की शारीरिक स्वस्थता को जानने के लिए की जाती हैं।

मुंह के केन्सर का उपचार,

सर्जरी: सर्जरी अथवा रोग से ग्रसित भाग को शरीर से ऑपरेशन द्वारा हटा देना मुंह के के न्सर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपचार है। इस प्रक्रिया में रोग से ग्रसित भाग को उसकी परिधि के चारों ओर के सामान्य (रोग-रहित) ऊतकों के सहित निकालकर जांच के लिए भेजा जाता है।

यदि पैथोलोजिस्न को इस रोगरहित हिस्से में के न्सर की कोशिकाएं मिलती हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि के न्सर प्रभावित भाग के चारों ओर सामान्य उत्तकों की एक रोगरहित परिधि उपस्थित है,

रोगी को एक और सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। यह एक आम धारणा है कि मुंह के के न्सर की सर्जरी प्राय: चेहरे को विकृ त कर देती है और इसके कारण रोगी मुंह के सामान्य कार्यों (चबाना, बोलना, आदि) नहीं कर पाते हैं। परंतु, ऐसा हमेशा सच नहीं होता है। एक बहुत बड़ी सर्जरी की आवश्यकता के वल उन मामलों में ही होती है, जहां ट्यूमर बहुत बढ़ा हुआ होता है।

यदि ट्यूमर का तब पता लग जाए, जब यह छोटा होता है, तो इसे हटाने के लिए सर्जरी सीमित होती है और इससे चेहरा विकृ त नहीं होता है अथवा इससे किए जाने वाले कार्य बाधित नहीं होते हैं। सर्जरी करते समय सर्जन को गले की लसिका की ग्रंथियों (Lymph Nodes) को भी हटाना पड़ सकता है।

रेडिएशन थेरेपी,

ऐसा उनमें केन्सर के फै लाव का पता लगाने के लिए किया जाता है। रेडियोथैरेपी/ रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में के न्सर के उपचार के लिए रेडिएशन (विकिरणों) का उपयोग होता है। रेडिएशन कई प्रकार के होते हैं। एक, जिसके विषय में आपको पता होगा, वह है एक्स-रे। यदि आपने कभी भी छाती अथवा शरीर के किसी अन्य हिस्से का एक्स-रे कराया होगा तो आप बहुत कम रेडिएशन से प्रभावित हुए होंगे।

उसी तरह का रेडिएशन, किं तु कहीं अधिक मात्रा में, कु छ तरह के के न्सरों के उपचार करने के लिए भी किया जाता है। कु छ लोगों की धारणा है कि इस उपचार में ‘झटके ’ दिए जाते हैं, किं तु यह सत्य नहीं है। इसकी प्रक्रिया सी.टी. स्कै न की तरह ही है, जिसमें एक रोगी को टेबल पर लिटाया जाता है एवं रेडिएशन के स्रोत को उस हिस्से से कु छ दूरी पर रखा जाता है

जिसे उपचारित किया जाना है। फिर कु छ मिनटों तक रेडिएशन दिया जाता है। जब यह उपचार दिया जाता है तब रोगियों को दर्द नहीं होता है। एक अन्य प्रकार की रेडियोथैरेपी में, जिसे ब्रेकीथैरेपी कहते हैं, रेडिएशन के स्रोत को शरीर के निकट संपर्क में रखते हैं।

रेडियोथैरेपी का उपयोग ऐसे ट्यूमर्स के उपचार में किया जाता है, जिनका आकार बड़ा होता है व जिनको सर्जरी से निकाला नहीं किया जा सकता है। इसे छोटे आकार के के न्सरों के उपचार में भी काम में लिया जाता है, जिनके लिए एक बड़ी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है।

सर्जरी,

इसे कु छ रोगियों में सर्जरी के पश्चात भी दिया जाता है ताकि के न्सर की पुनरावृति को रोका जा सके । कीमोथैरेपी/ सर्वांगी थेरेपी सर्वांगी उपचार में दवाइयों के उपयोग से के न्सर की कोशिकाओं को समाप्त कर दिया जाता है, चाहे वे शरीर में कहीं भी हों। दवाइयां न के वल तेजी से बढ़ने वाली के न्सर की कोशिकाओं को समाप्त कर देती हैं, वरन शरीर की सामान्यत कोशिकाओं को भी मार देती हैं

जो कि तेजी से बढ़ रही होती हैं। परिणामस्वरूप, ये दवाइयां, बाल झड़ना, रक्त कोशिकाओं की संख्या में गिरावट, कमजोरी, मुंह में छाले, और कु छ अन्य प्रतिकू ल प्रभावों को उत्प‍न्न कर सकती हैं।

हाल ही में, कु छ ऐसी दवाइयां भी बनाई गई हैं जो कि के वल ट्यूमर कोशिकाओं पर आक्रमण करती हैं और सामान्य कोशिकाओं को क्षति नहीं पहुंचाती हैं (लक्षित थेरेपी)। कीमोथेरेपी का उपयोग उन के न्सरों के उपचार में किया जाता है जो सर्जरी द्वारा हटा दिया जा सकने से कहीं अधिक बडे होते हैं।कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी से ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद मिलती है ताकि फिर इसे सर्जरी से हटाया जा सके अथवा रेडिएशन थेरेपी से उपचारित किया जा सके । इस विधि का प्रयोग के वल कु छ रोगियों में ही किया जाता है और इसके उपयोग का निर्णय ऐसे चिकित्सक से विस्तृत चर्चा के पश्चात ् ही किया जाना चाहिए, जो इस प्रकार के कैं सरों का उपचारित करने में विशेषज्ञता रखता हो।

अधिकांशत: मुंह के बढ़े हुए के न्सरों में कीमोथेरेपी का रेडिएशन थेरेपी के साथ उपयोग सर्जरी के पश्चात किया जाता है। इसे रेडिएशन के प्रभाव में बढ़ोतरी हेतु रेडिएशन थेरेपी के साथ भी दिया जाता है। इस विधि का उपयोग मुंह के उन बढ़े हुए के न्सरों के लिए किया जाता है,

जिन्हें सर्जरी से नहीं हटाया जा सकता। इसके अतिरिक्त‍, कीमोथेरेपी का उपयोग बढ़े हुए रोग के लक्षणों में राहत देने के लिए भी किया जाता है जब सर्जरी कर पाना संभव नहीं हो या ऐसा करना कठिन हो।
डॉक्टर से पूछे जाने वाले प्रश्न

• आप के विचार से मुझे कौन सा उपचार लेना चाहिए?

• इस उपचार का उद्देश्य क्या है?

• क्या आप सोचते हैं कि यह उपचार के न्सर को पूरी तरह से उपचारित कर देगा?

• मुझमें इन उपचारों से कौन से प्रतिकू ल प्रभाव हो सकते हैं?

• उपचार के लिए तैयारी हेतु मुझे क्या करना चाहिए?

• अपने उपचार के प्रभाव को अधिक कारगर बनाने के लिए मैं और क्या कर सकता हूँ?

क्या मुंह के केन्सर को रोका जा सकता है या इसका प्रारंभ में पता लगाया जा सकता है? मुंह के के न्सर में प्राय: (किं तु, हमेशा नहीं) मुंह में पहले कु छ बदलाव आते हैं। ये बदलाव के न्सर के लिए चेतावनी संके तों का कार्य करते हैं।

कु छ रोगियों को मुंह में सफे द (ल्यूसकोप्लेकिया) अथवा लाल (एरिथ्रोप्लेकिया) धब्बे हो सकते हैं। इन धब्बों को हटाने से इनमें से रक्त निकलता है और ये दर्द-रहित अथवा दर्द- युक्त हो सकते हैं। तंबाकू एवं शराब (एल्कोहल) का सेवन बंद करने और स्वास्थ्‍यवर्द्धक, पोषक आहार खाने से के न्सर के इन धब्बों का के न्सर में परिवर्तन रोका जा सकता है।
रोकथाम

तंबाकू सेवन छोड़ना मुंह के के न्सर की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुपारी और पान के पत्ते (सुपारी के साथ पान) चबाने से भी के न्सर का खतरा बढ़ जाता है। अत: इन्हें भी काम में नहीं लेना चाहिए। रोजाना अपने मुंह का स्वयं- परीक्षण करने से भी इसके पूर्व संके तों का पता लग सकता है और इससे
केन्सर को प्रारंभिक अवस्था में निदानित करने में सहायता मिलती है।

मुंह का कैंसर मुंह का कैंसर Reviewed by Unknown on 1:47 AM Rating: 5

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