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सफ़ेद दाग

श्वेत कुष्ठ
ल्युकोडर्मा चमडी का भयावह रोग है,जो रोगी की शक्ल सूरत प्रभावित कर शारीरिक के बजाय मानसिक कष्ट ज्यादा देता है।इसे ही श्वेत कुष्ठ कहते हैं। इस रोग में चमडे में रंजक पदार्थ जिसे पिग्मेन्ट मेलानिन कहते हैं,की कमी हो जाती है।चमडी को प्राकृतिक रंग प्रदान करने वाले इस पिग्मेन्ट की कमी से सफ़ेद दाग पैदा होता है। यह चर्म विकृति पुरुषों की बजाय स्त्रियों में ज्यादा देखने में आती है।
ल्युकोडर्मा के दाग हाथ,गर्दन,पीठ और कलाई पर विशेष तौर पर पाये जाते हैं। अभी तक इस रोग की मुख्य वजह का पता नहीं चल पाया है।लेकिन चिकित्सा के विद्वानों ने इस रोग के कारणों का अनुमान लगाया है।पेट के रोग,लिवर का ठीक से काम नहीं करना,दिमागी चिंता ,छोटी और बडी आंर्त में कीडे होना,टायफ़ाईड बुखार, शरीर में पसीना होने के सिस्टम में खराबी होने आदि कारणों से यह रोग पैदा हो सकता है।
शरीर का कोई भाग जल जाने और आनुवांशिक करणों से यह रोग पीढी दर पीढी चलता रहता है।इस रोग को नियंत्रित करने और चमडी के स्वाभाविक रंग को पुन: लौटाने हेतु
कुछ घरेलू नुस्खे बेहद कारगर साबित हुए हैं जिनका विवेचन निम्न पंक्तियों में किया जा रहा है–
इन बातों का ध्यान रखें-—
विरोधी भोजन लेने से। जैसे——
* दूध व मछली साथ-साथ न लें।
*शरीर का विषैला तत्व (Toxic) बाहर निकलने से न रोकें जैसे- मल, मूत्र, पसीना आने पर अधिक(डीयो) परफ्यूम न लगायें।
*मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन न करें।
*गरिष्ठ भोजन न करें जैसे अधिक उडद की दाल, मांस व मछली।
*भोजन में अधिक खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन न करें।
*अधिक नमक का प्रयोग न करें।
*ये रोग कई बार वंशानुगत भी होता है।
*रोज बथुआ की सब्जी खायें, बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें । ठीक होगा धैर्य की जरूरत है।
*अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
*रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, रिजका सौ ग्रा ककडी का रस मिलाकर पियें दाद ठीक होगा।
*लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है। *छाछ रोजना दो बार पियें सफेद दाग ठीक हो सकता है।
*लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर लेप करें साथ-साथ सेवन भी करें।
*पानी में भीगी हुई उडद की दाल पीसकर सफेद दाग पर चार माह तक लगाने से दाद ठीक हो जायेगा।
* हल्दी एक औषधि है। इससे त्वचा रोग में फायदा होता है। सौ ग्राम हल्दी, चार सौ ग्राम स्पिरिट (स्प्रिट) लेकर मिलायें और खाली शीशी में भर कर रख दें धूप में दिन में कम से कम तीन बार हिलायें जोर-जोर से। ये टिंचर का का करेगा दिन में तीन बार शरीर पर लगायें। हल्दी गर्म दूध में डालकर पियें छः महीने कम से कम।
*तुलसी का तेल बनायें, जड़ सहित एक हरा भरा तुलसी का पौधा लायें, धोकर कूटपीस लें रस निकाल लें। आधा लीटर पानी आधा किलो सरसों का तेल डाल कर पकायें हल्की आंच पर सिर्फ तेल बच जाने पर छानकर शीशी में भर लें। ये तेल बन गया अब इसे सफेद दाग पर लगायें।
*नीम की पत्ती, फूल, निंबोली, सुखाकर पीस लें प्रतिदिन फंकी लें।सफेद दाग के लिये नीम एक वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। कोई बी सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें। पत्ते,फल निम्बोली,छाल किसी का भी रस लगायें व एक चम्मच पियेंभी।जरूर फायदा होगा कारण नीम खु में एक एंटीबायोटिक है।ये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखता है। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तततक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।
* दस लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें जब ४ लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें और इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिला दें, यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। ४-५ माह तक ईलाज चलाने पर अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
एक और कारगर नुस्खा बताता हूं—
* लाल मिट्टी लावें। यह मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। अब यह लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन ल्युकोडेर्मा के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है

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