करौंदे का पौधा एक झाड़ की तरह होता है। इसके पेड़ कांटेदार और 6 से 7 फुट ऊंचे होते हैं। पत्तों के पास कांटे होते है जो मजबूत होते है। करौंदा के वृक्ष दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के करौंदों में छोटे फल लगते हैं। दूसरी प्रकार के करौदें में बड़े करौंदे लगते हैं।
करौंदे में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होने के साथ-साथ अत्याधिक एंटी-ऑक्सीडेंट भी पाया जाता है| जो अन्य फलों तथा सब्जियों की तुलना में कई अधिक है| करौंदा विटामिन E तथा K का भी अच्छा स्त्रोत है|
इससे हमें इन विटामिनों के अतिरिक्त कई मिनरल्स भी प्राप्त होते हैं जैसे- आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, जिंक इत्यादि| करौंदे के नियमित सेवन से हम कुछ स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं|
करौंदे के स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं:
• करौंदे का सेवन ज़ुकाम तथा बुखार में लाभप्रद है|
• कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर ह्रदय संबंधी रोगों से बचाता है|
• स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण कर हमें रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है|
• करौंदे का रस फेफड़ों की सूजन दूर करने में लाभदायक है|
• स्त्री स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों में विशेष रूप से लाभप्रद है| जैसे- मूत्र संक्रमण (urine infection)
कच्चे करौंदे का अचार बहुत अच्छा होता है। इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है।
एक विलायती करौंदा भी होता है, जो भारतीय बगीचों में पाया जाता है। इसका फल थोड़ा बड़ा होता है और देखने में सुन्दर भी। इस पर कुछ सुर्खी-सी होती है। इसी को आचार और चटनी के काम में ज्यादा लिया जाता है।
फलों के चूर्ण के सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है। करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है, प्यास रोकता है और दस्त को बंद करता है। ख़ासकर पैत्तिक दस्तों के लिये तो अत्यन्त ही लाभदायक है।
सूखी खाँसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस का सेवन लाभकारी होता है।
पातालकोट में आदिवासी करौंदा की जड़ों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फ़लों का जूस तैयार कर पिलाया जाता है, तुरंत आराम मिलता है।
खट्टी डकार और अम्ल पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फलों का चूर्ण काफ़ी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है।
करोंदा के फल को खाने से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दाँत भी मजबूत होते हैं। फलों से सेवन रक्त अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है।
सर्प के काटने पर करौंदे की जड़ को पानी में उबालकर क्वाथ करें। फिर इस क्वाथ को सर्प काटे रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
घाव के कीड़ों और खुजली पर करौंदे की जड़ निकाल कर पानी में साफ़ धोकर उसे पानी के साथ महीन पीस कर फिर तेल में डालकर खूब पकायें, फिर इस तेल का प्रयोग घाव के कीड़ों और खुजली पर करने से फायदा पहुँचता है।
ज्वर आने पर करौंदे की जड़ का क्वाथ बनाकर देने से लाभ मिलता है।
खांसी में करौंदे के पत्तों के अर्स को निकालकर उसमें शहद मिलाकर चाटना श्रेष्ठ है।
जलंदर रोग में करौंदों का शर्बत, हर दिन एक तोला दूसरे दिन दो तोला तीसरे दिन तीन तोला इसी प्रकार एक हफ्ते तक एक तोला रोज बढ़ाते जाए। एक हफ्ते के भीतर लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
करौंदा का प्रयोग मूंगा व चांदी की भस्म बनाने में भी किया जाता है। मूंगा भस्म बनाने के लिये कच्चे करौंदों को लेकर बारीक पीसें फिर उसकी भली भांति लुगदी बनाकर उस लुगदी में मूगों को रखें फिर उस लुगदी के ऊपर सात कपट मिट्टी कर, उपलों की आग में रखकर फूंके। पहले मन्दाग्नि, बीच में मध्यम तीक्ष्ण अग्नि दें तो मूंगा भस्म बन जायेगी।
चांदी की भस्म करने के लिये करौंदों की लुग्दी बनाकर ऊपर की विधि द्वारा सही सम्पुट बनाकर फूकें। इस प्रकार इक्कीस बार फूंकने पर चांदी की भस्म बनेगी।
• करौंदे के रस का सेवन रक्तचाप को कम करता है|
• झुर्रियों के निर्माण की प्रक्रिया को रोक कर, झुर्रियों का आना कम करता है|
• करौंदा कैल्शियम प्रदान कर हमारी हड्डियों तथा दांतों को मज़बूत बनाता है|
• इसमें कम कैलोरी होने के कारण, यह वज़न घटाने में भी सहायक है|
• दांतों को सडन से बचने के साथ सांस की दुर्गन्ध को रोकता है|
• करौंदे के रस का प्रतिदिन सेवन करके स्तन कैंसर से बचा जा सकता है|
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