परिचय
हिस्टीरिया किसे कहते हैं? हिस्टीरिया एक ऐसा रोग है जिसमें स्त्रियों को बेहोशी का दौरा पड़ता है। हिस्टीरिया रोग कई कारणों की वजह से होता है जो हम नीचे बता रहे हैं-
कारणः-
मासिक स्राव का सही समय पर न होना, मासिक स्राव होने के समय बहुत अधिक कष्ट (दर्द) होना, विवाह के लिए उम्र हो जाने पर भी युवती की शादी न होने पर, सेक्स क्रिया करते समय पूरी तरह से संतुष्ट न होने पर, योनि और गर्भाशय के अंदर सूजन आदि के रोग होने से तथा डर, दिमागी आघात, शोक और शरीर की कमजोरी की वजह से भी हिस्टीरिया का रोग अधिकतर स्त्रियों को हो जाता है। यह रोग उन स्त्रियों को भी हो जाता हो, जो विधवा हो जाती है तथा उन शादीशुदा स्त्रियों को भी यह रोग हो जाता है जिनके पति विदेश चले जाते हैं।
लक्षण-
हिस्टीरिया रोग के होने पर रोगी स्त्री का जी मिचलाने लगता है, सांस कभी धीरे और कभी तेज चलने लगती है तथा बेहोशी छा जाती है।
जानकारी-
इन रोगों के कारणों के बारे में मालूम होते ही शीघ्र ही किसी अच्छे अनुभवी चिकित्सक से इस रोग का इलाज कराना चाहिए।
चिकित्साः-
केसर, कज्जली, बहेड़ा, कस्तूरी, छोटी इलायची, जायफल और लौंग को बराबर मात्रा में मिलाकर 7 दिन तक सौंफ के काढ़े में मिलाकर और घोटकर तैयार कर लें। इसके बाद इस मिश्रण को तैयार करके इलायची के दाने के बराबर की गोलियां बना लें। 4-4 ग्राम मूसली सफेद तथा सौंफ के काढ़े से सुबह और शाम सेवन करना चाहिए। अगर मासिकस्राव के समय में कोई कमी हो तो सबसे पहले ऊपर बताई गई दवा से इलाज करें। बेहोश होने वाली स्त्री को होश में लाने के लिए सबसे पहले रोगी की नाक में नमक मिला हुआ पानी डाल दें। इससे बेहोशी रोग ठीक हो जाएगा, लेकिन यह उपाय शीघ्र ही और कुछ ही समय के लिए है। इसका अच्छी तरह से इलाज तो अपने डाक्टर या अपने वैद्य से ही कराना चाहिए। यह रोग कई बार रक्त की कमी के हो जाने के कारण से भी जाता है। हिस्टीरिया रोग के होने पर रोगी स्त्री को लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग के बराबर लोह भस्म को एक चम्मच के बराबर शहद में मिलाकर सुबह और शाम के समय में चटा दें और फिर ऊपर से 10-12 ग्राम मक्खन तथा मलाई के साथ खिला दें। इसके साथ दाल, रोटी, दूध, मलाई, घी का इस्तेमाल कर सकते हैं
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