इन दिनों डेंगू के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। यह एक खास किस्म के वायरस से होता है। इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं फैलता लेकिन डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से यह तेजी से फैलता है। डेंगू के मच्छर दिन और रात दोनों वक्त काटते हैं। ऐसे में डेंगू के लक्षणों, इससे बचाव और उपचार के बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है जिससे आप खुद को व अपने परिवार को इस संक्रमण से दूर रख सकें।
यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
कैसे होता है डेंगू
डेंगू से बचने के लिये आपको मादा एडीज इजिप्टी मच्छर से बचना पडेगा, इसको पहचानने के लिये देखिये कि इनके शरीर पर चीते जैसी धारियां तो नहीं हैं। ये ज्यादातर शरीर पर घुटने के ऊपर हमला करते हैं।
यह दिन में ज्यादा सक्रिय होते है। ज्यादा ऊपर तक नहीं उड़ पाते है। ठन्डे और छाव वाले जगहों पर रहना ज्यादा पसंद करते है। पर्दों के पीछे या अँधेरे वाली जगह पर रहते है|
अपने प्रजनन क्षेत्र के 200 meter की दुरी के अन्दर ही उड़ते है। गटर या रस्ते पर जमा खराब पानी में कम प्रजनन करते है। पानी सुख जाने के बाद भी इनके अंडे 12 महीनो तक जीवित रह सकते है।
लक्षण क्या है
इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर के उभरे चकत्तों से खून रिसता हैं।
ऎसे में ठंड लगती है और तेज बुखार होता है। शरीर पर लाल चकते भी बन जाते है जो सबसे पहले पैरों पे फिर छाती पर तथा कभी कभी सारे शरीर पर फैल जाते है।
पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, लगातर चक्कर आना, भूख ना लगना।
रक्त मे प्लेटलेटस की संख्या कम हो जाना और नब्ज का दबाव कम होना 20 मिमी एच जी दबाव से लगातार सिरदर्द, चक्कर आना, भूख ना लगना।
खूनी द्स्त लगना और खून की उल्टी आना जब डेंगूहैमरेज ज्वर होता है तो ज्वर बहुत तेज हो जाता है रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है,
रक्त की कमी हो जाती है, थ्रोम्बोसाटोपेनिया हो जाता है, कुछ मामलों में तो मृत्यु हो जाती है।
बचने के तरीके
किसी भी खुली जगह में जैसे की गड्डो में, गमले में या कचरे में पानी जमा न होने दे। अगर पानी जमा है तो उसमे मिटटी डाल दे।
खिड़की और दरवाजे में जाली लगाकर रखे। शाम होने से पहले दरवाजे बंद कर दे।
ऐसे कपडे पहने जो पुरे शरीर को ढक सके। रात को सोते वक्त मच्छरदानी लगाकर सोए।
जहां पानी जमा हो उसमें केरोसिन तेल डाल दें।
पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहनें और मच्छरदानी लगा कर सोएं।
यदि कूलर का काम ना हो तो उसे सूखा कर रखें वरना उसका पानी रोज बदलते रहें। हफ्ते पानी बदलें। घर के आस-पास पानी जमा न होने दें गंदगी ना फैलने दें।
डेंगू के घरेलू उपचार
अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है
यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है
पपीते के पेड़ के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है,
पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें ,एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे टुकड़े करे !
2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह जाये !
बाबा रामदेव ने बताया बताया इलाज
बाबा रामदेव ने बताया की डेंगू के इलाज में पपीते के पत्ते का जूस सबसे कारगर है। जूस पीने के चंद घंटों बाद ही प्लेटलेट्स की संख्या में बहुत तेजी से बढ़त होती है।-
पपीते का जूस ना मिले तो एलोवेरा या गिलोय का जूस भी प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि कर देता है। बुखार और उलटी आने पर अनार का जूस बहुत फायदा करता है।
रोगी चाहे तो पपीते के पत्तों का रस, गिलोय का रस या एलोवेरा का रस, तीनों में से कोई भी अजमा सकता है। तीनो ही प्लेटलेट्स बढाने का रामबाण इलाज है। पपीता और एलोवेरा लीवर की समस्या ख़त्म कर देता है। इसके अलावा गिलोय का रस बुखार उतारने में क्रोसिन की गोली से भी तेज काम करता है।
बाबा रामदेव ने बताया कि अनार का जूस लीवर के लिए भी फायदेमंद है और इसका जूस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी सही हो जाती है। ठंडा होने पर रोगी को पिलाये
मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !! गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l
यदि बुखार 1 दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी
नीम और तुलसी का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
करेले के रस में जीरा डालकर पीने से डेंगू में लाभ होता है। रात्रि में पुराने गुड़ के साथ जीरा खाने से डेंगू में लाभ होता है। अदरक और किश्मिश का काढ़ा पीने से डेंगू में लाभ होता है। अमरूद दिन में तीन बार खाने से डेंगू में लाभ होता है। ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं !
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है ! रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती ! ऊपर बताए गए इलाजों मे सबसे जल्दी पपीते के पेड़ के पत्ते काम करते हैं फिर गिलोय !! इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का ! अगर आप चाहते हैं के आपको मलेरिया या डेंगू ना ही हो तो भी आप उपरोक्त लिखे उपचार बिना किसी संकोच से कर सकते हैं, और इस के साथ में ये नीचे दिया गया लिंक खोल कर ज़ोर पढ़े के कैसे खीर खा कर आप मलेरिया या डेंगू से बच सकते हैं
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